भले भारत में अनेक लोग रहते हैं, अनेक जात-धर्म भी यहाँ बस्ते है। भले अलग-अलग बोली यहाँ, लेकिन सबके स्वर में एक ही मिठास होते हैं। एक दूसरे के त्योहारों में ख़ूब मौज-मस्ती करते हैं, क्रिसमस, दिवाली और ईद मनाते हैं। बाईबल,
तबाही तुम मचा रहे हो, पूछने पर भी नहीं बता रहे हो। ख़ुद की मर्जी चला रहे हो, दुनिया को बर्बाद कर रहे हो। जाने का नाम नहीं ले रहे हो, दिन पर दिन मौत का आंकड़ा बढ़ा रहे हो। तुम्हारे अंदर थोड़ी सी भी नहीं है करूणा, बता दो तुम क्यों आये हो कोरोना? नहीं चाहिए तुम्हें धन, दौलत और पैसा, लोगों को मारना क्या यही है तुम्हारा पेशा। ना लोगे चाँदी, ना लोगे सोना, बता दो तुम क्यों आये हो कोरोना?
चीन में कोरोना फैल गई थी, चारों तरफ़ तबाही मच गई थी। हमने तो सोचा कि यह आम बीमारी थी, पर कोरोना तो एक महामारी थी। जैसे कोरोना ने किया भारत में प्रवेश, सबने बदल दी अपनी-अपनी भेष। हमने तो सोचा कि चीन ने हमें ललकारी थी, पर कोरोना तो एक महामारी थी। कइयों ने तो किया बहुत पूजा-पाठ, पर पूजा-पाठ से भी लगा न कुछ हाथ। भारत में ज़ीका और इबोला हारी थी, पर कोरोना तो एक महामारी थी।
चलो हम चलते रहें, कोरोना से लड़ते रहें। जब तक हम जीत न जाए, एक कोशिश भी हमसे छूट न जाए। चलो हम चलते रहें, सरकार के नियमों का पालन करते रहें। कदम-से-कदम मिलाकर चलना होगा, अपने-अपने घरों में कुछ दिन बंद रहना होगा। चलो हम चलते रहें, इस कोरोना आफ़त से लड़ते रहें। चाहें कैसी भी हमारे रास्ते में आये बाधा, चलो हम सब बाँट लें आधा-आधा। चलो हम चलते रहें, अपने-अपने कर्म भी करते रहें। न रूके हमारे कोरोना से लड़ने का लय, होनी है इस महामारी में हमारी विजय।
अब तक तुमने ली हमारी जान है, कोरोना अब हम तैयार हैं। समझ लो अब तेरी निश्चित हार है, कोरोना अब हम तैयार हैं। प्रथम तेरा ही प्रहार है, कोरोना अब हम तैयार हैं। समझ लिया हमने तेरा गोल आकार है, कोरोना अब हम तैयार हैं। तुने छिपकर किया वार है, कोरोना अब हम तैयार हैं। अब हमारे पास भी लड़ने के लिए हथियार है, कोरोना अब हम तैयार हैं। अब एक जुट सारा संसार है, कोरोना अब हम तैयार हैं। चारों तरफ़ अब हमारा ही हुंकार है, कोरोना अब हम तैयार हैं।
अब से हमें स्वास्थ्य को लेकर सतर्क होना पड़ेगा, खाने से पहले डेटॉल से हाथ धोना पड़ेगा। अगर ये करते रहेंगे हम, तो कोरोना को भी रोना होगा। हाथ मिलाकर अब हमें छोड़ना पड़ेगा, पहने हुए कपड़े को अच्छे से धोना होगा। कोरोना ने हमें बहुत रुलाया है, अब कोरोना को भी रोना होगा। वातावरण को साफ - सूथरा रखना पड़ेगा, सबको स्वच्छता का ज्ञान होना पड़ेगा। अगर ये बातें ध्यान में रखेंगे, तो कोरोना को भी रोना पड़ेगा।
जब - जब कोई समस्या दुनिया में फैल जाता है, पूरा देश हार मानकर शीश अपना झुकाता है। लेकिन भारत कभी हार नहीं मानता है, हमेशा एकाग्रता की दीप जलाता है। चाहे कैसी भी आये महामारी, जान चाहे ले ले हमारी। हमेशा हमने एकाग्रता की दीप जलाई, सोई हुई अपनी शक्तियों को जलाई। अटल जी ने अपने अंदाज़ में जलाए थे दिया, उनके हमने बहुत कुछ सिखा और प्राप्त किया। उसी इतिहास को दोहराने चले हम, फिर से एकाग्रता की दीप जलाने चले हम।